ज़िंदगी जंग है ये जानते है हम,
लड़ते भी रहेंगे जब तक है दम;
पर, हर जंग का जीत ही हो अंजाम,
ये ज़रूरी तो नहीं|
मुसाफिर है हम, हर वख्त सफ़र करते है,
राहें है जो बनी हमारे लिए, उसी से गुज़रते है;
पर, उन राहों का हो मंज़िल ही आख़री मुकाम,
ये ज़रूरी तो नहीं|
अच्छा-बुरा, सच-झूठ, हाँ और नहीं भी,
चुनना ज़रूरी है कभी ग़लत, कभी सही भी;
पर, हर बार चुनाव होगा ये आसान,
ये ज़रूरी तो नहीं|
हौसलों के परिंदे बंदिशें कहाँ मानते है?
पंख छोटे ही सही, ये उड़ना जानते है;
छोटे सपनों की उड़ानों का छोटा ही हो आसमान,
ये ज़रूरी तो नहीं|
दुविधा, नाकामी, ग़लतियाँ सबके अपने-अपने है,
हर किसीके जीवनमें यह पौधे बनके पनपने है;
हिस्से आए हर कांटें का दे तक़दीर को ही इलज़ाम,
ये ज़रूरी तो नहीं|
हार या जीत सिर्फ फितरत या किस्मत तो नहीं,
कहतें है जो होना है, लिखा है कहीं;
पर, मान के ये हम छोड़ ही दें कोशिशें तमाम,
ये ज़रूरी तो नहीं|
‘जीना तो बस साहस है’, लोग जो यह सच जानते है,
अपनी मर्यादा व शक्तियाँ वे ख़ुद ही पहचानते है;
करे जग इन ‘जियालों’ की सही कद्र और सम्मान,
ये ज़रूरी तो नहीं|
हिम्मती जन को हारने का कहीं कोई अधिकार नहीं?
टूटनेवाले मन के कभी क्या जुड़ने पाते तार नहीं?
वख्त से लड़ते इंसानों के मर जाएँ अरमान,
ये ज़रूरी तो नहीं|
कुछ पाने की चाहत में वो अनजानी दौड़ में शामिल है,
इंसाँ अगर जो ठान ही ले, क्या कुछ पाने के काबिल है;
पर, आसमाँ से आगे जाने का हो हर किसीका अरमान,
ये ज़रूरी तो नहीं|
छोटे सुख-दुःख के पल भी जिनके लिए मायने रखते है,
जो मीठे, तीखे, फ़िके, तुरे जीवन के स्वाद को चखते है;
वे रोज़ सवेरे उठते ही कोई करेंगे काम महान,
ये ज़रूरी तो नहीं|
*जियाला = बहादुर