मृत्यु की खबर – A Hindi poetry by Japan Vora

mrityu ni khabar hindi poetry swatisjournal

मृत्यु ही जीवन का एकमात्र अटल एवं विदित सत्य है, परन्तु इसे जीवनपर्यंत अस्वीकृत करते रहना भी अति साधारण मनुष्य भाव है| मृत्यु की ख़बर मिलना सहज है किंतु, उसकी अनुभूति मनुष्य के अपने उम्र के पड़ाव तथा मनोभावों पर निर्भर करती है| एक ही ख़बर यहाँ तीन छंदों में, जीवन उर्जा के धूमिल होने की गति के साथ, बदलती अनुभूति के रूप में प्रस्तुत की गई है|

जैसे आकस्मिक
कोई धुन कोई गीत पुराना बजे
और फिर वही
संवेदना के द्वार खुल जाए
वैसे ही उठती है
एक लहर
जब कोई सुनाएं
किसी के मृत्यु की खबर

जैसे गरजते बादलों से
बरसती है बारिश बेहिसाब
और बिजली के चमकने से
झूम उठे रात का प्रहर
फिर सुबह की धूप में
वैसे ही सूख जाए सारा शहर
जैसे कोई सुनाएं
किसी के मृत्यु की खबर

जैसे दिन के उजाले में संवरती है
जिंदगी किसी हसीं ख्वाब की तरह
फिर यादें ही तो रह जाती है रोशन
खलाओ में आफताब की तरह
इसी रोशनी में खो जाते हे साये
जल जाती है परछाइयां
वैसे ही न रहे पाए कोई वजूद
हयात से हो जाता हूं बेखबर
जब कोई सुनाएं
किसी के मृत्यु की खबर

  • Subscribe to our Newsletter

    You can't resist this cutie! Let her bring you our Friday newsletter.

    *No spam. You can unsubscribe at any time.

  • Leave a Reply

    Swati's Journal

    © 2024 Swati's Journal